December 1964
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खोल कर रखें दरवाज़े,
कोई नया है आने वाला.
अधखुली खिड़की से विदाई,
जो है जाने वाला.
यादें ना जा पाएंगी.
संजो लें दिल की किसी दराज़ में.
कभी भी उचक आएँगी,
बिखरा मन संवारने.
हंसें , मुस्कराएँ नये साल में,
कुछ नया गुनगुनाएं नये साल में.
*** मुक्ता राजीव ***