किसान और गरीबी.
    किसान के साथ गरीबी का हमेशा चोली दामन का साथ रहा है. ‘चतà¥à¤°â€™ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤°à¥€ और बिचोलिये सदैव इस निरीह पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¥€ से लाठउठाते रहें हैं. à¤à¤• किसान ही है जिसे उचित लाठनही मिल पाता.
      à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ यही समसà¥à¤¯à¤¾ साल दर साल , पीà¥à¥€ दर पीà¥à¥€ चली आ रही है ? जब इस खेती के ‘वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯â€™ में किसान को छोड़ बाकी सब लाठकमा पाते हैं तो किसान ही कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं ?  जबकी उसे देश में न तो कोई टैकà¥à¤¸ देना पड़ता और सà¤à¥€ वसà¥à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤‚ जैसे बीज, खाद आदि ससà¥à¤¤à¥‡ मूलà¥à¤¯ पर उपलबà¥à¤§  कराई जाती हैं.
      इस समसà¥à¤¯à¤¾ का à¤à¤• कारण तो ‘वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯ ‘ शबà¥à¤¦ में छà¥à¤ªà¤¾ है . खेती को वà¥à¤¯à¤¸à¤¾à¤¯ कà¤à¥€ माना ही नही गया. जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इसे सिरà¥à¤« उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤• ही नहीं बलà¥à¤•à¤¿ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯ के रूप में à¤à¥€ लिया , वे लाठउठा ले गये.
  अब समसà¥à¤¯à¤¾ यह है की कà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¤¿à¤• बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ वाला होता है ?.
          कà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का à¤à¤• ‘सेलà¥à¤¸ परà¥à¤¸à¤¨â€™ होना आवशà¥à¤¯à¤• है ?
    आलू के चिपà¥à¤¸ बनाने वाला मà¥à¤¨à¤¾à¤«à¤¾ कमाता है , किसान अपनी लागत को रोता रहता है. किसान को अनà¥à¤¨à¤¦à¤¾à¤¤à¤¾ का समà¥à¤®à¤¾à¤¨ मिलता है , चिपà¥à¤¸ बनाने वाले को ‘चिपà¥à¤¸ दाता’ का कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं ? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की वह अचà¥à¤›à¤¾ खासा मà¥à¤¨à¤¾à¤«à¤¾ कमाता है , अपने साथ और लोगों को à¤à¥€ रोजगार देता है, बेचने वाला फà¥à¤Ÿà¤•à¤° दà¥à¤•à¤¾à¤¨à¤¦à¤¾à¤° à¤à¥€ अचà¥à¤›à¤¾ मà¥à¤¨à¤¾à¤«à¤¾ कमाता है  और मà¥à¤¨à¤¾à¤«à¤¾ à¤à¤• समाजवादी सोच अनà¥à¤¸à¤¾à¤° बà¥à¤°à¥€ बात है.
खैर सोच तो पीड़ियों में बदलती है. किसान को बाजार से जोड़ने का à¤à¤• उपाय जो मà¥à¤à¥‡ सूà¤à¤¤à¤¾ है :
    सारी कà¥à¤°à¤·à¤¿ योगà¥à¤¯ à¤à¥‚मि का विलय कर बड़े उदà¥à¤¯à¥‹à¤—पतियों को बड़े सà¥à¤¤à¤° पर खेती करने को दे दिया जाय – सà¥à¤µà¤¾à¤®à¤¿à¤¤à¥à¤µ किसान का ही रहेगा. उनà¥à¤¨à¤¤ तरीके से , अधिक उपज हो पायेगी . जिस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ से जितनी à¤à¥‚मि ली गई , उसे उसी अनà¥à¤ªà¤¾à¤¤ में à¤à¥‚मि का हर महीने किराया मिलता रहेगा .
   à¤à¤•à¥€à¤•à¥ƒà¤¤  à¤à¥‚मि पर कारà¥à¤¯ वही लोग करते रहेंगें जो पहले करते थे . वही लोग जो पीड़ी दर पीड़ी यही कारà¥à¤¯ करते आये हैं , निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤¨ कà¥à¤¶à¤² वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¤¿à¤• à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¤°à¥à¤ŸÂ का रहेगा . किसानों को हर माह कारà¥à¤¯ की à¤à¤µà¤œ में à¤à¤• निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ पगार का à¤à¥à¤—तान होगा.
     ‘कमà¥à¤ªà¤¨à¥€â€™ उदाहरण के लिठअगर आलू का उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ करती है तो उसे कà¥à¤² उपज का à¤à¤• निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ ( ४०% या ५०%) गà¥à¤£à¤µà¤¤à¥à¤¤à¤¾ अनà¥à¤¸à¤¾à¤°  à¤à¤• निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ मूलà¥à¤¯ पर खà¥à¤²à¥‡ बाजार में बेचना होगा ( उदाहरण के लिठ२० रà¥. किलो या लागत + कà¥à¤›  लाठ) . बाकी बचे उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦ से कमà¥à¤ªà¤¨à¥€ ‘सोना’ बनाने को सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° होगी. चिपà¥à¤¸ बनाये , वोदका बनाये , निरà¥à¤¯à¤¾à¤¤ करे यानी खूब मà¥à¤¨à¤¾à¤«à¤¾ कमाठ, टैकà¥à¤¸ à¤à¤°à¥‡ – इसे ही कहते हैं ‘सोना बनाना ‘. कà¥à¤² मà¥à¤¨à¤¾à¤«à¥‡ में à¤à¥€ उस किसान की à¤à¤¾à¤—ीदारी रहेगी – उदाहरण के लिठकà¥à¤² मà¥à¤¨à¤¾à¤«à¥‡ का à¥à¥«% समसà¥à¤¤ à¤à¥‚मि दाताओं में उनकी à¤à¥‚मि के अनà¥à¤ªà¤¾à¤¤ में वितरण.
         अà¤à¥€ की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में सरकार à¤à¥‚मि का उदà¥à¤¯à¥‹à¤—ों के लिठअधिगà¥à¤°à¤¹à¤£Â कर, किसानों को à¤à¥‚मिहीन बना कर, à¤à¤•à¤®à¥à¤¶à¥à¤¤ मà¥à¤†à¤µà¤œà¥‡ के साथ , परिवार के à¤à¤• सदसà¥à¤¯ को उदà¥à¤¯à¥‹à¤— में à¤à¤¸à¥€ नौकरी देती है जिसका उसे धेले à¤à¤° का à¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ नहीं होता. सà¥à¤à¤¾à¤ˆ गई वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में à¤à¥‚मि किसान की ही रहती है . वह चाहे तो उसे किसी को बेच à¤à¥€ सकता है , नया खरीदार इस वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ से जà¥à¥œ जायगा .  आय की निरंतरता à¤à¥€ बनी रहती है. कमà¥à¤ªà¤¨à¥€ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ अनà¥à¤¸à¤¾à¤° परिवार के à¤à¤• से अधिक वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¥€ कारà¥à¤¯ में जà¥à¤Ÿ सकते हैं और वेतन पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सकते हैं . चूकीं ये लोग खेती ही करते आयें हैं – कà¥à¤¶à¤² कामगार की शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ के तहत वेतन पायेंगें .
    इस वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ को लागॠकरने में सबसे बड़ी अड़चन तथाकथित सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ , बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤œà¥€à¤µà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ व à¤à¤•à¥à¤Ÿà¤¿à¤µà¤¿à¤¸à¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ की आयगी. यह à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ वरà¥à¤— है जो यथासà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ के विरोध में तो रहता ही है  और किसी फेरबदल के à¤à¥€ – सिरà¥à¤« विरोध से ही इनका असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ बना रहता है. वे सबको à¤à¥œà¤•à¤¾à¤¨à¥‡ में लग जायेगें कि देखो देखो सरकार उदà¥à¤¯à¥‹à¤—पतियों के साथ मिल कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ लाठपंहà¥à¤šà¤¾ रही है और ‘गरीब’ किसान को अपने ही खेतों में मजदूर बना रही है. इन जैसो से पार  पाना सचमà¥à¤š विकट समसà¥à¤¯à¤¾ है.Â
                                                              : राजीव.