स्वागत
जिन के संग बचपन बीता,
जिन के संग हम हुए जवान .
उन्हीँ कहानी औ किस्सों को ,
याद करें और दें सम्मान .
यह क्या और क्यों ?
ढेर सारी पत्र पत्रिकाएँ . खेलने को हाकी , क्रिकेट , बैडमिंटन वगैरा . स्कूल में स्काउटिंग व एन. सी. सी. .सुनने को मुकेश, रफी , मन्नाडे , किशोर कुमार , लता मंगेशकर , आशा भोंसले , सुमन कल्यानपुर वगैरा वगैरा . चूल्हा जलाने से ले कर घर के सारे कामों में हाथ बटाना. डबलरोटी के स्लाइस हाथ से चलने वाली मशीन से करवा कर घर लाना और फिर पोलसन मक्खन लगा कर खाना. रेडिओ पर विविध भारती पर झलकियाँ सुनना . सबसे बड़ी बात मस्त रहना .
कुछ याद आया ?
याद आता है – ‘दिनमान ‘ जो सप्ताह भर के देश विदेश के समाचारों से अवगत करता था .
याद आता है – ‘साप्ताहिक हिंदुस्तान ‘ जिसमे पड़े विश्व साहित्य व विद्वता पूर्ण लेख आज भी सार्थक हैं .
याद आता है – ‘धर्मयुग ‘ का ‘डब्बू जी का कोना ‘
माधुरी ,नवनीत, पराग , नंदन , इंद्रजाल कोमिक और बहुत कुछ .
और अगर आपने भी इन सब के समयकाल में शायद हाजी बाबा और मुल्ला नादान के साथ इसफाहन की सैर की है तो इन पन्नों से कुछ , थोड़ा बहुत जुडाव पायेंगे .
काफी पत्रिकायें आती थी घर पर – पत्र पत्रिकाओं का ऐसा संग्रह हो गया की घर में ही ‘ सर्वोदय बाल पुस्तकालय ‘ खोल लिया. फ़ीस थी आठ आने महीना – चूंकि सारे यार दोस्त व् पड़ोसी ही थे – किसी ने दिये तो दिये .
जब भारत औ रूस की दोस्ती परवान चडी तो रुसी साहित्य के रूप में तो जैसे खजाना ही हाथ लग गया . हर विषय , हर काल , हर उम्र की पुस्तके. यहाँ तक की इंजीनियरिंग और मेडीकल की भी – हिंदी में . कौन सा घर ऐसा होगा जिसमे ‘स्पुतनिक’ ना आता हो और ना आते हों रुसी भाषा सीखने हेतु छोटे छोटे पतले से रिकोर्ड प्लेयर के रिकार्ड्स .
४०, ४५ साल गुजर गये . काफी धरोहर खो गई . बचा कुचा समेटा और उस बचे कुचे को सहेजने का प्रयास आपके सम्मुख प्रस्तुत है .
साईट खुद ही बनाने बैठ गया . पता कुछ भी नहीं . खैर बन ही गयी – जैसी तैसी .
नीचे छपी तस्वीर प्राग के चार्ल्स ब्रिज पर एक कलाकार ने बनाई थी – बाकी अंदाजा लगा लीजिये .
अगर आप के पास भी कुछ हो , योगदान हेतु , तो लिखे kissekahani@gmail.com पर. यदि स्कैन करके PDF format में भेज पायें तो सोने पे सुहागा .
———- राजीव
यह पुरानी यादों की एक अनोखी संग्रह है, और मैंने जो भी कहानियां पढ़ी हैं, उनमें मेरी अपनी पुरानी यादों को याद कराती हैं। यह ऐसा विशेष जगह है जहां पुरानी यादों को जीवित रखा जा सकता है! इस वेबसाइट के संचालकों और सुधारकों को उनके मेहनत के लिए धन्यवाद!
महोदय,
क्या आप के पास हिंदी में इंद्रजाल कॉमिक्स भी है?
यदि हैं तो कृपया बताएं कि मैं उन्हें कैसे प्राप्त कर सकती हूं?
मेरे पास पराग के कई अंक हैं, जिन्हें मैं प्रशंसकों को उपलब्ध करा सकती हूं। कृपया तरीका बताएं।
can u pl share the old issues of parag magazine for children.
These are already on this site.
Internet archive से नंदन pdf में download करे हमने वहा अपलोड किए हैं और भी शीघ्र ही अपलोड करेंगे
मेरे पास
१०००+ कोमिक्स
१५०००+ मेगेजिन
और ६०० + कहानी की किताबे pdf में है
किसी को भी चाहिए तो अपनी किताबो के साथ मेरे साथ अदला बदली कर सकते है.
बम्बई से
संपर्क:
+९७३ ६६३३१७८१
Harshad sir namate,
Kya aap 1979, 80, 81 ke dauran ke Parag aur Nandan kee pratiyan uplabdh kara sakte hain?
Sadar,
Arun Kumar Rai
Please post more PARAG scans, especially published in 80s.
Rajeev ji
Dharmyug ko bhool gaye kya..?
Usi kaal ki ek behtrin patrika, bahut si bachpan ki yaade judi hain…
Yadi koi purana ank ho to upload kijiye…
thank you so much rajiv bhai for uploading these rare gems of parag. pl upload some diwana n nandan of that vintage.
Rajeev Bhai Long Time no Update, Please Upload More Parag, Nandan And Nanhe Samrats From Old Times ..
Please post more PARAG and NANDAN scans, especially published in 80s and 90s. Thank you.
Parag ke ankon ke liye dhanyawaad yadi nandan aur lotpot ke kuch aur ank upload kar sake to aapka aabhari rahunga.
Rajeev ji taja tareem column hata Diya hai , Agar Aap WhatsApp par hain to Kaiser jud sakte hain , Kripya batayen.
त्रुटी के लिए खेद है. ताज़ा तरीम चालू कर दिया है.kissekahani@gmail.com पर मेल द्वारा जुड़ सकते है.
धन्यवाद.
Deepak ji , kripya aapke paas NANADAN ke kuch purane issues ho to kripya post kijiye….thanks
नंदन का अक्तूबर १९६९ का अंक प्रस्तुत है. क्रप्या प्रतिक्रिया दें .
–राजीव
Bahut Aabhar , Very rare Books and Magazines , uploaded here , and let me know if any group etc run by you on FB, WhatsApp telegram , I would like to join ..
Thank you for Nandan Rajiv ji
Nandan was my childhood favorite along with parag and indrajal comics.
do you have any PARI KATHA ANK of Nandan?
thanks again
Desh deepak
Rajiv ji
10 April 18 ko apka taza tarim bahut dino baad aya.
Thanks for the New upload of Parag.
Please keep on posting regularly as we wait for newer parag and your posts.
If possible do it every Sunday so that we can see these on monday onwards.
thanks
किसी के पास अगर अवतार सिंग की पराग मे छपी “लाल तार” कहानी हो तो share कीजिये.
धन्यवाद
शीघ्र ही लाल तार कहानी आपको यहां मिलेगी।
देखते रहिये।
बेहतरीन पेज राजीव जी।
बिलकुल मेरे मन की सारी बातें।
मैंने आपको ईमेल भी किया है।
कुछ पुरानी धर्मयुग हैं।
स्कैन कर भिजवा सकता हूँ।
कृपया ईमेल करें।
deshdeepak_s@rediffmail.com
अवतार सिंह की कहानियां याद आती हैं।
देशदीपक
नमस्कार भाई साहब
मैंने आपको ई मेल किया है
bkvikash@gmail.com से
कृपया धर्मयुग भेज सके तो कई सालो की मुराद पूरी हो जायेगी
आपके द्वारा पराग खजाने से भी बढ़ कर के है , मैंने तो कम पढ़े थे ,
पैदा ही १९७८ में हुए , तो किशोर होने तक तो यह पत्रिका आनी ही बंद हो गई थी
पर छोटू लम्बू सदा मन में है और आपके द्वारा अपलोड से पढने का एक मौक़ा और मिला
दिल से धन्यवाद
विकाश
जबलपुर
Its wonderful to read the Najanu book…. still i remember the story Ud Gaya Gubbara… thanks now i can share the same with my daughter..:-)
Parag was my favourite childhood magazine. I dont hav words to describe my happiness. I thank you from bottomm of my heart. You brought me back to my childhodd. Thanks a lot again.
Dear Friend, am so glad that I got to read Heere Moti again and salute to your efforts. I want to gift this story book to the kids in my family now. But it shows only few stories. Please please please send me the full pdf copy if you have. I will be thankfull to you ever.
wow ……….its too good.
meri bhi ek kahani hai me bhi us kahani ko likhna chahti hu
Really friend I don’t have words to describe my respect to you in my words…….Really you brought my old days back of summer vacation holidays.Salute and hats off to you for your work.Please if u have more russian folktales in hindi plz upload or just give us the link.
It was a miracle reading Heere-Moti after Decades. I deeply respect your feelings and your efforts. Would like to talk you. My contact no is XXXXXXXXX. Please contact.
Please post more PARAG scans, especially published in 80s.